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कौन है?-

यह सिर्फ कमरा नहीं बल्कि किसी राजघराने की हवेली का आरामगाह था। दीवारे तरह-तरह के प्राणियों के कलात्मक बुत से सुशोभित थी। छत पर काँच का बड़ा सा झूमर झूल रहा था। दीवारों में ही कहीं-कहीं ऐसे स्तंभ बने हुए थे। जिसमें पूरी की पूरी आदमकद की मूर्तियां समाई हुई थी। ठीक सेंटर में विशाल डबल बैंड था। जिसमें चार-पाँच इंसान आराम से सो सकते थे। बेड के ठीक पीछे वाली दीवार पर एक राजा की मूर्ति बनी हुई थी। जिसमें महाराज अपने सिंहासन पर विराजमान थे। उनके माथे पर बड़ी पगड़ी और दोनों हाथ सिंहासन के पायो पर रखे हुए थे। छोटी-छोटी मुछे जो तेजस्वी चेहरे पर काफी जच रही थी। उनके मस्तक के ऊपरी हिस्से में काले अक्षरों में महाराज का नाम लिखा गया था। महाराज भानु प्रताप सिंघ। इसी मूर्ति के ठीक सामने महारानी यशोनंदिनी की मूरत थी। बाकी की दो दीवारों में भी आमने-सामने युवा स्त्रियों के आकर्षक पुतले एक दूसरे को जैसे घूर रहे थे। दोनों नारी प्रतिमाओं के नाम का कोई भी ब्यौरा कहीं नहीं मिलता था।रॉकी ने ऐसी भव्य प्रतिमाएँ इससे पहले कभी नहीं देखी थी। ऐसा लगता था। जैसे यह प्रतिमाएँ अभी बोल पड़ेगी। कुछ देर के लिए उसकी साँस हलक में अटक गई थी। अब वह धीरे-धीरे साँसे लेने लगा। उसका मुख इस वक्त रानी यशोनंदिनी की खूबसूरत मूरत में खो गया। यशो नंदिनी का रूप इस पुतले में इतना आकर्षक लग रहा है तो वास्तविक जीवन में उनकी खूबसूरती का नजारा क्या रहा होगा? कुछ देर के लिए मार्गरेटा को भूलकर रानी यशो नंदिनी के रुप को निहार ने लगा था। अचानक रॉकी ने गर्म साँसो को महसूस किया। जैसे उसके पीछे कोई साँस ले रहा था। पलट कर उसने तुरंत पीछे देखा। पीछे वाली दीवार पर महाराज भानु प्रताप सिंघ का पुतला सिर्फ उसे ही घूर रहा था। रॉकी को लगा अभी भी कोई साँस ले रहा है। वह एक-एक करके सभी पुतलो के करीब से देखने लगा। रॉकी...! तुम आ गये रॉकी? मार्गरिटा की आवाज़ सुनते ही उसका दिल धक् से रह गया। दिल जोर जोर से पसलियाँ से टकराने लगा। पगलाए हुए रॉकी ने आवाज के स्त्रोत के उद्गम स्थान को पकड़ने की नाकाम कोशिश की। अचानक उसने भारी-भरकम आवाज में किसी की खौफनाक हंसी सुनी। रॉकी ने ठाकुर भानु प्रताप के पुतले को गौर से देखा। उसके साथ ही बाकी की नारी प्रतिमाओं के मुख से भी उसकी खिल्ली उड़ाने वाली भयानक हंसी गूँज उठी।


रॉकी हक्का-बक्का सा तहखाने के बीचो बीच खड़ा था। पगलाया सा वह कभी महाराज के पुतले की ओर तो कभी महारानी के पुतले की ओर देख रहा था। आमने सामने खड़े बाकी दो पुतले भी उसे ऐसे धूर रहे थे जैसे उसका मजा ले रहे हो। तकरीबन 25 वर्षीय खूबसूरत स्त्रियों के दो पुतले ओर थे। जो इस वक्त रॉकी को टकटकी लगाये देख रहे थे। रॉकी तहखाने में मौजूद बेजान पुतलों को देखकर काफी डरा हुआ था। तहखाने में खड़े पुतलों की विचित्र हरकतें रॉकी के लिए चिंता का कारण बनती जा रही थी। तहखाने में चारों तरफ से एक साथ सुनाई देने वाली खौफनाक हँसी सुनकर रॉकी के हाथ-पैर फूल गए। इस भयानक तहखाने को छोड़कर उसने जैसे ही भागने का इरादा किया एक जानी पहचानी आवाज ने उसके होश उड़ा दिए। वह आवाज़ किसी ओर की नही बल्कि मार्गरिटा की थी। मार्गरेटा ने अपनी मीठी आवाज से उसे पुकारा था।  मार्गरेटा की आवाज में अपना नाम सुनकर रॉकी जहाँ खड़ा था वहीं पर जाम हो गया। उसने ने दुबारा पलटकर पीछे देखा। पहली नजर में वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। "कहाँ हो तुम? मार्गरिटा कहाँ हो? देखो ऐसी जगह पर लुकाछिपी नही खेलते। चलो घर चलते है। वादा करता हूँ अब से तुम्हें फार्महाउस में नही रहना पड़ेगा।"  रॉकी महारानी के पुतले को करीब से देखने के लिए आगे आया। 'मानो ना मानो महारानी के पुतले से ही मार्गरेटा की आवाज आ रही है।' अपने विचार की पुष्टि करने के लिए रॉकी पुतले के पास पहुंचा। तो राइट साइड की दीवार में मौजूद पुतले से आवाज आई। "वहाँ नहीं पागल मैं यहाँ हूँ।" रॉकी बुरी तरह चौका। और उसने पलट कर साइड की दीवार में खड़े पुतले की ओर देखा। पुतले के होठों पर मनमोहक मुस्कान थी। रॉकी उस नौजवान महिला के पुतले के करीब पहुंचा। उसके नाज़ुक होठों पर अपने हाथ की उंगलियों से छूने लगा। पुतले के होंठों का स्पर्श इतना मुलायम था कि एक पल के लिए रॉकी को लगा 'ये पुतला नहीं हो सकता।' जरूर यह कोई रूप सुंदरी पुतले के भेस में खुद को छुपा कर यहाँ खड़ी है। महारानी और उनकी सखियों के पुतलों को देखकर वह पूरी तरह भ्रमित हो चुका था। अगर यहाँ मार्गेरीटा होती तो अब तक  सामने आ गई होती। ऐसा कहकर रॉकी ने अपने मन को समझाया। रॉकी उस पुतले के भरे हुए अंगों में इतना डूब गया कि उसके हाथ की सभी उंगलियां स्फटिक जैसे होठों की नरमी को महसूस करने में लगी थी। ठीक तभी उसके मुंह से दर्दनाक चीख निकल गई। पलक झपकते ही रॉकी ने अपना हाथ पीछे खींच लिया। अपने हाथ की एक उंगली कटी हुई देख कर उसके होश उड़ गए। भल्ल भल्ल करके गरम लहू निकलने लगा। और खून की बूंदे फर्श पर गिरने लगी थी। फर्श पर गिरती खून की बूंदों को देखकर रॉकी के बदन में कंपकंपी फैल गई। "रॉकी मेरी जान, दर्द हो रहा है तुम्हें?" कहती हुई मार्गरेटा कहीं छुप कर खिलखिला कर हंस रही थी। आवाज चारों तरफ से गूंजती हुई आ रही थी जिसके कारण अंदाजा लगाना मुश्किल था कि आखिरकार वह कहां छुपी है। "यह सब क्या है मार्गरेटा? तुम मेरे साथ ऐसा बिहेव क्यों कर रही हो?" रॉकी तड़प कर अपनी लहूलुहान उंगली को देखता हुआ बोला था। "क्यों? मेरे साथ प्रेम नहीं करते तुम?" मार्गरेटा की आवाज ऊंची हो गई। "तुमने मेरे दिल के जज्बातों के साथ खेला है। मेरे प्रेम का तुमने गलत फायदा उठाया है। मुझे बाजारू लड़की बनाना चाहते थे तुम? मुझे तुमसे नफरत है रॉकी। और मैं तुम्हारा चेहरा भी नहीं देखना चाहती। तुम्हारे जैसे लड़कों को इस दुनिया में रहने का कोई अधिकार नहीं है।" हिरनी की तरफ घबराई हुई रहती मार्गरेटा उसके लिए इतनी सख्त भी बन सकती है उसने सोचा नहीं था।


(क्रमशः)

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2 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 11:14 PM

Nice one

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Gunjan Kamal

27-Sep-2023 09:05 AM

👏👌

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